Saturday, 3 May 2014

।। भक्ति का फल।।

⊙ मिशन सतस्वरुप ⊙
।। फलफूल।।

प्रश्न - भक्ति और उसका फल .........विस्तृत कीजिए

उत्तर - आदि सतगुरु, सर्व आत्मओंके सतगुरु,सर्व श्रृष्टि के सतगुरु, सतगुरु सुखराम जी महाराज ने सभी भक्तिओंके फल विस्तृत से अलग अलग बताये है।

तपश्चर्या का फल - राजा बनोगे।
तीर्थस्नान का फल - रूपवान काया मिलेगी।
व्रत करोगे - निरोगी काया मिलेगी।
देवी की भक्ति करोगे - स्त्री जन्म मिलेगा।
ब्रह्मा की भक्ति / गायत्री मन्त्र - ब्रह्मा के सतलोक में जाओगे।
एक सौ एक यज्ञ करोगे - इंद्र पदवी पाओगे।
विष्णु / नवधा भक्ति - वैकुण्ठ प्राप्ति
शिव की भक्ति करोगे - कैलास में जाओगे।
शक्ति की भक्ति - शक्ति लोक
क्षेत्रपाल/भेरू/भोपा - यमदूत
नीच कर्म - नर्क में जाओगे।
सोऽहं जाप अजप्पा - पारब्रह्म (होनकाल)

उपरोक्त सभी फल तुरंत नही मिलते। इस जन्म में यह भक्ति करोगे तो मृत्यु पश्चात 43,20,000 साल चौरासी लाख योनी भटकानेके बाद अगले जन्म में यह फल मिलता है।
यह भक्तियाँ करनेके पश्चात आवागमन (जन्म-मरण) नही मिटाता।

जन्म-मरण (आवागमन) मिटाना है तो आदि सतगुरु, सर्व आत्मओंके सतगुरु,सर्व श्रृष्टि के सतगुरु, सतगुरु सुखराम जी महाराज का सतस्वरुप विज्ञान धारण करके उनका शरणा लेकर श्वास उश्वास में सतस्वरुपी "राम" नाम का सुमिरन करके अपने शारीर मे बारह कमलोंका छेदन करके बंकनाल (पश्चिम) के रस्ते से दसवाँ द्वार खोलकर पारब्रह्म के परे सतस्वरुप आनंदपद - अमरलोक में जाना होगा वह भी जीवित अवस्था में।
मृत्यु पश्चात नही जीवित अवस्था में।

।। फलफूल के अंग से।।
।। आदि सतगुरुजी महाराज साहेब।।
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