आपको सतस्वरुप की भक्ति सम्बन्धी कोई प्रश्न / शंका हो तो आप यहाँ पूंछ सकते हो। गुरुज्ञान के हिसाब से जवाब देने की मेरी कोशिश रहेगी।
...........शानू भाई
आपको सतस्वरुप की भक्ति सम्बन्धी कोई प्रश्न / शंका हो तो आप यहाँ पूंछ सकते हो। गुरुज्ञान के हिसाब से जवाब देने की मेरी कोशिश रहेगी।
...........शानू भाई
मेने एक बार ऐसे ही वाणीजी से सत्संग सुन कर राम राम करना शुरू कर दिया, परन्तु स्वयं को तो बहुत आनंद की अनुभूति होती और दुनिया के सब रस फीके लगते और दुनिया की कोई चीज़ मुझे पसंद नहीं आती और धीरे धीरे मेरा पैस कमाने की इच्छा भी समाप्त हो गई / ab चूँकि मैं बेरोजगार था काम करने की बजाय मैं भजन सिमरण में इतना लिप्त हो गया की कुछ और की चाहना ही नष्ट हो गयी /
ReplyDeleteएसी स्थिति मे परिवार के बाकि सब सदस्य मुझे घ्रणा की दृष्टी से देख कर मेरा विरोध करने लगे क्योंकि दुनिया के सब लोग भोतिक उन्नति की ही चाहना करते है, जब मे वापस मनमुख हुआ तो मुझे यह समज आया अंतर्मुख होने से ऐसा रस आता है की दुसरे सब चीजो के लिए रूचि ख़त्म हो जाती है, जब रूचि नहीं रहेगी तो काम करने का मन करता ही नहीं बस ये लगता है राम राम रटते रहो जब तक घट में प्राण,
अब अगर में देखता हूँ तो सोचता हूँ की बाहरी दुनिया के लिए पैसा चाहिए और भीतरी दुनिया के लिए रामजी से प्रीत | लेकिन दोनों के लिए इतनी योग्यता कहाँ से लाऊ????????
यहीं समस्या कई समय से लगी हुयी है और भजन करना भी बंद हो गया है वापस मुझे मेर आंतरिक शत्रुओ न बुरी तरह से गेर लिया है आप कुछ मार्ग दर्शन करे जिससे भोतिक उन्नति भी चरम सीमा तक पहुँच सके और भक्ति भी चरमसीमा पर पहुंचे और में निर्लिप्त रहते हुए अपने सारे दायित्व पीछे वालो की इच्छा अनुरूप निभा सकू और किसी का भी आरोपी न बनू|
सादर प्रणाम
राम राम सा
बसन्त कुमार