⊙ मिशन सतस्वरुप ⊙
...।। आदि सतगुरु।।...
प्रश्न - हम सतगुरु सुखरामजी महाराज को
आदि सतगुरु -सर्व आत्माओ के सतगुरु-सर्व सृष्टि के सतगुरु
क्यों कहते है ?
उत्तर - सतगुरु सुखरामजी महाराज जी की "अनभे वाणीजी" में विठ्ठलराव संवाद-कुंडली-६६ में....
"मै सतगुरु हु आद का, आतम का गुरु कवाय।
मेरी महिमा अगम है,
क्या जाने जग माय।।
इस प्रकार से कहा गया है।
वैसे ही ....
"अगाध बोध" ग्रन्थ - चौपाई १५४ में...
"म गुरुदेव सिस्ट सबहिका,
जान मा जाने कोई ।
मोसु मिल्या अगम घर मेलु,
आनंद पद में सोई ।।
इसलिए हम गुरु महाराज को……
मै सतगुरु आद का=आदि सतगुरु,
आतम का गुरु कवाय =सर्व आत्माओ के सतगुरु,
मै गुरुदेव सिस्ट सबहीका=सर्व सृष्टि के सतगुरु
ऐसा संबोधन करते है।
"सतस्वरुप आनंद्पद ने:अन्छर निजनाम ग्रन्थ से"
* आप सभी संतो की जानकारी के लिए *
(उपरोक्त उपाधि की खोज, अभ्यास, मेहनत, लगन का श्रेय गुरु महाराज के प्रति असीम श्रद्धा रखने वाले हमारे मार्गदर्शक गुरुदेव मा. श्री. जगतपलजी चांडक, प्रवर्तक- रामद्वारा जलगाव इनको जाता है।)
धन्यवाद।
© रामद्वारा-जलगाव
रामस्नेही...शानुभाई...पुणे
।। राम राम सा।।
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