Wednesday, 16 April 2014

सतगुरु परख

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⊙ मिशन सतस्वरुप ⊙
   ।। सतगुरु पारख।।

ब्रह्मा रचिया सृजन कु।
विष्णु करन प्रतिपाल।।
शिव रच्या संहार कु।
इंद्र बरसन मेघ माल।।
पाप पूण्य का न्याव कु।
सिरजो हे जमराज।।
संत सिरज्या "सुखराम" कहें।
जिव उधारण काज।।

आदि सतगुरुजी महाराज साहेब कहते है... ब्रह्मा का सृजन (निर्माण) सृष्टि निर्मिती के लिए है। विष्णु पालन करने हेतु तथा इंद्र वर्षा करने हेतु और यमराज पाप पुण्य का न्याय करने हेतु निर्माण किये गए है। उसी प्रकार "सतस्वरुपी संत" जिव के उद्धार के लिए ही निर्माण किये गए है।

।। राम राम सा।।
।। आदि सतगुरुजी महाराज साहेब।।

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