Saturday, 4 January 2014

बंजारा...

सब ठाठ पड़ा रह जावेगा ,
जब याद चलेगा बंजारा ,
धन तेरे काम न आवेगा ,
जब लाद चलेगा बंजारा।
जो पाया है वो बाँट के खा ,
कंगाल न कर कंगाल न हो ,
जो सब का हाल किया तूने ,
एक रोज़ वो तेरा हाल न हो ,
इक हाथ कटे इ क हाथ चले ,
हो जावे सुखी ये जग सारा।
सब ठाठ पडा रह जावेगा ,
जब लाद चलेगा बंजारा।
क्या कोठा कोठी क्या बँगला,
ये दुनिया रैन बसेरा है ,
क्यूं झगड़ा तेरे मेरे का ,
कुछ तेरा है न मेरा है।
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा ,
जब लाद चलेगा बंजारा
सुन कुछ भी साथ न जाएगा ,
जब कूच
का बाजा लनकारा (नन्कारा )
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा।
धन तेरे काम न आवेगा ,
जब लाद चलेगा बंजारा।
एक बन्दा मालि क बन बैठा ,
हर बंदे की किस्मत फूटी ,
था इतना मोह फसाने का ,
दो हाथों से दुनिया लूटी ,
थे दोनो हाथ मगर खाली ,
उठ्ठा जब (डंगर ) लंगर बे चारा।
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा ,
जब लाद चलेगा बंजारा।

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