Wednesday, 8 January 2014

८४,००,००० योनि.......


।। राम राम सा।।

पीछे मैंने सभीसे दो बार एक सवाल किया था चौरासी लाख योनिया कौनसी ?
इसका कारण यह था की - 20 साल से मै यह भक्ति कर रहा हूँ लेकिन मेरा यह प्रश्न प्रश्न ही बना हुआ है। मै जवाब चाहता था।
दोनों ग्रुप में से सिर्फ दो ही रामस्नेहियोंने उत्सुकता दर्शायी....उनको धन्यवाद..
अन्य ज्ञान में मुझे इसका उत्तर मिला वह निम्नलिखित है...
नव लख जल को जंतू है।
दस लख पक्षी जान।।
एकादश किट भृंग है।
स्थावर बीस बखान।।
तिस लाख पशु योनि है।
चतुलक्ष नर होय।।
सत्यासत्य विचार करे।
सांचा नर है सोय।।
इसका मतलब-
09 लाख- जलचर
10 लाख- पक्षी
20 लाख-स्थावर
11 लाख- कृमि
30 लाख- पशु
04 लाख- मनुष्य
_____________
84 लाख- कुल
इसकी पुष्टि "मन की राड" में यहाँ मिलती है....
किट पतंगा पशु पंखेरू।
लाख इक्यावन कहिया।।
एती देह ते धारी।
जहाँ तहाँ विषे रस पिया।। 81।।
मानव देह धरी ते केती।
लेखे बिना अपारा।।
चार लाख तू जूण कहानो।
जन्मा वार न पारा।।82।।
.................( मन की राड )

इसमे मुझे प्रश्न यह उठा की 4 लाख मनुष्य योनि कैसे ?
इसका मतलब 4 लाख बार हम मनुष्य योनि में आते है क्या ?
इधर हम कहते है की 43,20,000 साल के बाद एक बार नरदेह मिलता है। वह भी 100 साल के लिए।
क्या यह मेरा प्रश्न कोई सुलझाएगा क्या ?

......आदि सतगुरु सुखराम जी महाराज ने ......धन्य हो। धन्य हो।। धन्य हो।।।

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Saturday, 4 January 2014

बाहर क्रिया


।। राम राम सा।।

बाहेर क्रिया बहुबिध करहे।
ज्यां उपजे ताहि फिर खप हे।।
तिन लोक में त्रिगुणी माया।
ब्रह्म धाम चौथे पद पाया।।

ये संसार के जिव बहार की अनेक क्रिया करते है। वे जहाँ उपजते है वही खपते है। जहाँ जन्मते वही मरते। ये तिन लोक त्रिगुणी माया है। परमात्मा का पद चौथा है।

.............(अजर लोक ग्रन्थ)
आदि सतगुरु सुखराम जी महाराज ने धन्य हो। धन्य हो।

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बंजारा...

सब ठाठ पड़ा रह जावेगा ,
जब याद चलेगा बंजारा ,
धन तेरे काम न आवेगा ,
जब लाद चलेगा बंजारा।
जो पाया है वो बाँट के खा ,
कंगाल न कर कंगाल न हो ,
जो सब का हाल किया तूने ,
एक रोज़ वो तेरा हाल न हो ,
इक हाथ कटे इ क हाथ चले ,
हो जावे सुखी ये जग सारा।
सब ठाठ पडा रह जावेगा ,
जब लाद चलेगा बंजारा।
क्या कोठा कोठी क्या बँगला,
ये दुनिया रैन बसेरा है ,
क्यूं झगड़ा तेरे मेरे का ,
कुछ तेरा है न मेरा है।
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा ,
जब लाद चलेगा बंजारा
सुन कुछ भी साथ न जाएगा ,
जब कूच
का बाजा लनकारा (नन्कारा )
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा।
धन तेरे काम न आवेगा ,
जब लाद चलेगा बंजारा।
एक बन्दा मालि क बन बैठा ,
हर बंदे की किस्मत फूटी ,
था इतना मोह फसाने का ,
दो हाथों से दुनिया लूटी ,
थे दोनो हाथ मगर खाली ,
उठ्ठा जब (डंगर ) लंगर बे चारा।
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा ,
जब लाद चलेगा बंजारा।