Tuesday, 17 December 2013

खटराग....

खटरागां साथे करे ,
एकण समचे कोय ।
तो गुण एक न प्रगटे ,
ऐसो ज्ञानी ज़ोय ।
ऐसो ज्ञानी ज़ोय ,
तत्त जागे सो बाणी ।।
वे न्यारा सुण शब्द ,
भेद बिन लखें न प्राणी ।
सुखराम कहे प्रेम वो ,
पुन ही प्रगट होय ।।
खटरागा साथ करे ,
ऐकण समचे कोय ।।

   जैसे छः रागों को एक साथ गाने पर एक का भी गुण प्रगट नहीं होता ।
इसी तरह से जगत के ज्ञानी अनेक साधन व करणीया करते हैं ।उससे करमों का नाश नहीं होता ।
परमात्मा का निज नाम याने ने:अन्छर जब तक प्रगट नहीं होता ।
याने भेद नहीं मिलता तब तक
करमों का नाश नहीं होता ।
सतगुरु विधि से प्रेम से भजन
करने पर ही ने:अन्छर प्रगट
होता हैं ।
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