साहेब-मालिक-इश्वर-परमात्मा कहाँ है....
जैसे यह दिखाई नही देता....
01) ढोल में जैसे नाद
02) बादल में जैसे बिजली
03) थाली में झन्नाट
04) बाजे में छतीस राग
05) लकड़ी में चकमक
06) पोलाद में पथरी
07) चकमक में आग
08) गन्ने में शक्कर
09) दुध में घी
10) तील में तेल
11) कीड़े में रेशम
12) फुल में सुगंध
13) आत्मा में परमात्मा
जैसे यह बताते नही आता...
14) मछली का रास्ता
15) भवरे की विहंगम चाल
16) स्त्री सुख का वर्णन
17) घी का स्वाद का वर्णन
इस प्रकार से वह परमात्मा चराचर में व्याप्त है।
आदि सतगुरु
सुखराम जी महाराज ने
धन्य हो। धन्य हो।