Thursday, 8 November 2012

सब पृथक पृथक........

हे मित....
यह सृष्टी क्या हैं ?
कैसे बनी हैं ?
क्यों बनी हैं ?
यह तिन लोक की रचना किस लिए हैं ?
तिन लोक चवदा भवन क्या हैं ? वहां कौन रहता हैं ?
किस लोक में कौन कौन रहता हैं ?
यह चार पूरी कौन सी हैं ?
वहा कौन रहता हैं ?
यह तिन ब्रह्म कौनसे हैं ? उसके चवदा भवन कौनसे हैं ?  
उनके नाम क्या हैं ?  
यह वेद, शास्त्र, पुराण क्या हैं ? क्योँ हैं ? 
यह देवी देवता कौन हैं ? कैसे बने हैं ? कितने हैं ? 
यह मूर्ति क्या  हैं ? क्योँ बनी हैं ? 
क्या मूर्ति सगुन हैं ? निर्गुण हैं ? कितने तत्व की है ? 
हम कितने तत्व के हैं ? सृष्टी में कितने तत्व हैं ? 
यह नाद क्या हैं ? यह अनाद क्या हैं ? अनहद क्या हैं ? 
हद क्या हैं ? बेहद क्या हैं ? 
यह अगम क्या हैं ?यह निगम क्या हैं ? ........
ढेर सारे सवाल जेहन में ......पुन एक बार ......
क्या कोई इसका भेद बताएगा ? 
सब पृथक पृथक करके बताएगा ? 
कौन हैं एसा जो मेरे मन के भ्रम मिटाएगा ?....
फिर आऊंगा कुछ प्रश्नों के साथ .......... 
शानू पंडित,  
इहलोक संपर्क - +91 94 234 92 193

Sunday, 4 November 2012

.....थोडा सोचो ......

हे मनमीत,
क्या हैं अज्ञान ? क्या हैं ज्ञान ?
 क्या हैं विज्ञानं ?
क्या हैं माया का ज्ञानं ? क्या हैं मायका विज्ञानं ?
क्या हैं ब्रम्ह का ज्ञान ? क्या हैं ब्रम्ह का विज्ञानं ?
क्या हैं वीतराग विज्ञानं ?
क्या हैं केवल ज्ञान ? क्या हैं केवल ज्ञान विज्ञानं ?
क्या हैं सतस्वरुप विज्ञानं ?
क्या हैं अगति ?क्या हैं गति ?क्या हैं मुक्ति ?क्या हैं मोक्ष ? क्या हैं परममोक्ष ?
जानना नहीं चाहोगे ? कुछ जानते होंगे कुछ नहीं ......सब विस्तारसे देखेंगे ......फिर कभी...आज इतनाही .....थोडा सोचो ...... SHANUPANDIT -India - + 91 9765 282928

Friday, 2 November 2012

उलझन मिटाने वाला कोई मिलेगा ?........

हे मित्र,
कौन हूँ मैं ? कौन हैं हम ? कंहासे आये हैं हम ? क्योँ आये हैं हम ? कहाँ जाना हैं हमें ?
इस मृत्युलोक में हम क्यों आये हैं ? मृत्यु क्या हैं ? जन्म क्या हैं ? जन्म मृत्यु क्यों  हैं ?
यह शारीर धारण करके हम यहाँ सुख दुःख में क्यों पड़े हैं ? क्या यह दुःख हमेशा के लिए ख़त्म नहीं हो सकता ? क्या सदाके लिए हम सुखी नहीं हो सकते ?  
जिव कौन हैं ? ब्रह्म क्या हैं ? आत्मा क्या हैं ? परमात्मा क्या हैं ? परमात्मा कौन हैं ? कहाँ रहता हैं ?
ब्रम्ह कौन हैं ? कहाँ रहता हैं ? आत्मा कौन हैं ? कहाँ रहता हैं ?
क्या आत्मा ही परमात्मा हैं ? या ब्रम्ह परमात्मा है ? क्या जिव ही परमात्मा हैं ?
या सबसे अलग हैं परमात्मा ?
कहते हैं परमात्मा हर जगह हैं , कण कण में हैं , अगर परमात्मा कण कण में हैं.......... 
तो क्या हमारे रोम रोम में प्राप्त हो सकता हैं ? 
क्या परमात्मा - देवी - देवता - ब्रम्ह - परब्रम्ह  एक ही हैं या अलग अलग हैं ?
क्या परमात्मा देवी देवता से अलग हैं ?
क्या फर्क हैं आत्मा परमात्मा में ?
यह सगुण निर्गुण क्या हैं ? परमात्मा सगुण हैं या निर्गुण हैं ?
क्या हमें परमात्मा की प्राप्ति हो सकती हैं ? हम कैसे उसे प्राप्त करे ? उसे प्राप्त किया यह कैसे समझे ?
कौन मिलाएगा हमें उस परमात्मा से ?
क्या परमात्मा मिलाना मिलाना मुमकिन हैं ?.........
ढेर सारे अनगिनत सवाल जेहन में उभरते है ......कोई हैं सुलझाने वाला ?
क्या जीवन के अंतिम छोर पर ये प्रश्न ....प्रश्न ही रहेंगे ? 
यह गुत्थी कौन सुलझाएगा ? ......उलझन मिटाने वाला कोई मिलेगा ?........
और कुछ प्रश्नों के साथ फिर उपस्थित होऊंगा ........ आज इतनीही उलझन सही .......
पुन मिलेंगे ....उपरोक्त विषय को लेकर .....आज यहीं विश्राम लेते हैं !.........
प्रा. शानुपंडित, 
पुणे. ( India )
+91 94 234 92 193

Monday, 29 October 2012

बस देर हैं भीतरी सैर की.......

मित्र,
यह निरंतर चिरकाल सच्चा अमर सुख कदापि आपको अविश्वसनीय लगता हो, लेकिन यह बात सच हैं !
इसे आप इसी देहि में प्राप्त कर सकते हो !
बस जरुरत हैं एक सच्चे -सबल -निरपक्ष -मार्गदर्शक की !
और एक अविश्वसनीय जैसी बात कहता हूँ ! .................क्या आपने भीतरी सैर कभी की हैं ?
आप तो सुख बहार खोज रहे हो, क्या कभी भीतर खोजने की कोशिश की हैं !
यह यह निरंतर चिरकाल सच्चा अमर सुख आपके भीतर ही हैं ! 
बस देर हैं भीतरी सैर की - मित्र.... यह विज्ञानं हैं....... सतस्वरुप विज्ञानं !
आपको एक इंच भी इधर उधर भटकना नही न खोजना हैं न प्रारब्ध के नाम पर कभी रोना !
विधि के विधाता तुम ही हो...... यह विचार तुम्हारे जीवन परिवर्तन का कारण बन सकता हैं !
मित्र , उठो - जागो चल पडो भीतरी सैर करने के लिए.....
अमर सुख पाने के लिए उस सच्चे -सबल -निरपक्ष -मार्गदर्शक की ओर !
जो सिर्फ आपको सुखी देखना चाहता हैं - सुखी ओर सिर्फ सुखी !
वह निमिष मात्र आपको दुखी देखना नहीं चाहता हैं ! 
आपकी अंतरात्मा की आवाज तथा एक फ़ोन की दुरी पर हम आपका स्वागत करते हैं !
वास्तव विश्राम और चिरंतन अमर सुख के अभिलाषी संपर्क करने में देर न करे ..स्वयम सुखी बने दुसरोको सुखी बनाये...आज के लिए इतनाही ......
सतस्वरूपी विज्ञानी परिवार , पुणे.
 इहलोक संपर्क - +91 94 234 92 193

Wednesday, 24 October 2012

क्या वास्तव में यह सही हैं ? ....

हे मित ....
क्या तुम दुखी हो ? 
चिंतित हो ? 
समस्या है ? 
विपति का सामना कर रहे हो ? 
परेशानी में हो ? 
चाहते कुछ हो - होता कुछ हैं ?
करना कुछ चाहते हो ? हो कुछ जाता हैं ?
इन प्रश्नोंके उत्तर अगर हाँ हैं,.... तो ....
हतबल न हो ! 
बिलकुल विचलित न हो ! 
यदि आपके साथ यह सब हो रहा हैं ! तो यह नयी बात नहीं हैं ! 
कुछ चुनिन्दा महाभाग इसे ''प्रारब्ध'' कहाँ हैं और वे हमें समझाते हैं की इसे हमें भुगतनाही हैं !
मित्र ,
यह सिर्फ हमारे ही साथ नहीं बड़े बड़े महापुरुष, अवतारी पुरुष तथा अनेक महाभागोंके साथ भी हुआ हैं ! 
अब सवाल ये हैं की हमारा जन्म सिर्फ भुगतने के लिया हैं ?
यक़ीनन नहीं ....
हमारा जन्म सिर्फ भुगतने के लिए नहीं बल्कि  भोगने के लिए हैं !
हमारे कुछ अल्प बुद्धि विद्वानोने भोगने का अर्थ सिर्फ भौतिक तथा विषय सुखो तक सिमित कर रखा हैं !
क्या वास्तव में यह सही हैं ?
अगर हमें भोगानाही हैं
तो क्या हम...... चिरकाल निरंतर सच्चा सुख नहीं भोग सकते ? 
जो भौतिक सुखोके परे कहलाता हैं ! 
इन भौतिक तथा विषय सुखोमे चिरकाल निरंतर सच्चा अमर सुख कहा ? 
सच्चा आनंद कहा ? परमानन्द कहा ? 
इन भौतिक तथा विषय सुखो की हमें उब आ रही हैं ! 
क्या इसीमे हम घिरे रहेंगे ?
इनसे छुटकारा नहीं हैं क्या ? क्या हैं हमारा वास्तव विश्राम ?  
मर्त्य शारीर में निरंतर हमारा सफ़र जारी हैं !
जो इस मुकाम पर निरुत्तर सा प्रश्न लेकर हमारे सन्मुख खड़ा हैं !.....
मित्र .....इसलिए ही हैं .....मिशन सतस्वरूप .....
अब पुन मिलेंगे ....उपरोक्त विषय को लेकर .....आज यहीं विश्राम लेते हैं !.........
प्रा. शानुपंडित, 
पुणे. ( India )
+91 94 234 92 193

Tuesday, 23 October 2012

अवश्य पढ़े ........

मिशन सतस्वरूप क्या हैं ?
सतस्वरूप का मिशन क्या हैं ?
मिशन सतस्वरूप की आवश्यकता क्यों हैं ?
मिशन सतस्वरूप की आवश्यकता किसे हैं ?
मिशन सतस्वरूप की शुरुवात किसने, कब और कंहा की ?

मिशन सतस्वरूप के फायदे इ.
यह सब जानने के लिए ........अवश्य पढ़े ........

प्रा. शानुपंडित,
पुणे.
०९४ २३४ ९२ १९३