हे मित्र,
कौन हूँ मैं ? कौन हैं हम ? कंहासे आये हैं हम ? क्योँ आये हैं हम ? कहाँ जाना हैं हमें ?
इस मृत्युलोक में हम क्यों आये हैं ? मृत्यु क्या हैं ? जन्म क्या हैं ? जन्म मृत्यु क्यों हैं ?
यह शारीर धारण करके हम यहाँ सुख दुःख में क्यों पड़े हैं ? क्या यह दुःख हमेशा के लिए ख़त्म नहीं हो सकता ? क्या सदाके लिए हम सुखी नहीं हो सकते ?
जिव कौन हैं ? ब्रह्म क्या हैं ? आत्मा क्या हैं ? परमात्मा क्या हैं ? परमात्मा कौन हैं ? कहाँ रहता हैं ?
ब्रम्ह कौन हैं ? कहाँ रहता हैं ? आत्मा कौन हैं ? कहाँ रहता हैं ?
क्या आत्मा ही परमात्मा हैं ? या ब्रम्ह परमात्मा है ? क्या जिव ही परमात्मा हैं ?
या सबसे अलग हैं परमात्मा ?
कहते हैं परमात्मा हर जगह हैं , कण कण में हैं , अगर परमात्मा कण कण में हैं..........
तो क्या हमारे रोम रोम में प्राप्त हो सकता हैं ?
क्या परमात्मा - देवी - देवता - ब्रम्ह - परब्रम्ह एक ही हैं या अलग अलग हैं ?
क्या परमात्मा देवी देवता से अलग हैं ?
क्या फर्क हैं आत्मा परमात्मा में ?
यह सगुण निर्गुण क्या हैं ? परमात्मा सगुण हैं या निर्गुण हैं ?
क्या हमें परमात्मा की प्राप्ति हो सकती हैं ? हम कैसे उसे प्राप्त करे ? उसे प्राप्त किया यह कैसे समझे ?
कौन मिलाएगा हमें उस परमात्मा से ?
क्या परमात्मा मिलाना मिलाना मुमकिन हैं ?.........
ढेर सारे अनगिनत सवाल जेहन में उभरते है ......कोई हैं सुलझाने वाला ?
क्या जीवन के अंतिम छोर पर ये प्रश्न ....प्रश्न ही रहेंगे ?
यह गुत्थी कौन सुलझाएगा ? ......उलझन मिटाने वाला कोई मिलेगा ?........
और कुछ प्रश्नों के साथ फिर उपस्थित होऊंगा ........ आज इतनीही उलझन सही .......
पुन मिलेंगे ....उपरोक्त विषय को लेकर .....आज यहीं विश्राम लेते हैं !.........
प्रा. शानुपंडित,
पुणे. ( India )
+91 94 234 92 193
कौन हूँ मैं ? कौन हैं हम ? कंहासे आये हैं हम ? क्योँ आये हैं हम ? कहाँ जाना हैं हमें ?
इस मृत्युलोक में हम क्यों आये हैं ? मृत्यु क्या हैं ? जन्म क्या हैं ? जन्म मृत्यु क्यों हैं ?
यह शारीर धारण करके हम यहाँ सुख दुःख में क्यों पड़े हैं ? क्या यह दुःख हमेशा के लिए ख़त्म नहीं हो सकता ? क्या सदाके लिए हम सुखी नहीं हो सकते ?
जिव कौन हैं ? ब्रह्म क्या हैं ? आत्मा क्या हैं ? परमात्मा क्या हैं ? परमात्मा कौन हैं ? कहाँ रहता हैं ?
ब्रम्ह कौन हैं ? कहाँ रहता हैं ? आत्मा कौन हैं ? कहाँ रहता हैं ?
क्या आत्मा ही परमात्मा हैं ? या ब्रम्ह परमात्मा है ? क्या जिव ही परमात्मा हैं ?
या सबसे अलग हैं परमात्मा ?
कहते हैं परमात्मा हर जगह हैं , कण कण में हैं , अगर परमात्मा कण कण में हैं..........
तो क्या हमारे रोम रोम में प्राप्त हो सकता हैं ?
क्या परमात्मा - देवी - देवता - ब्रम्ह - परब्रम्ह एक ही हैं या अलग अलग हैं ?
क्या परमात्मा देवी देवता से अलग हैं ?
क्या फर्क हैं आत्मा परमात्मा में ?
यह सगुण निर्गुण क्या हैं ? परमात्मा सगुण हैं या निर्गुण हैं ?
क्या हमें परमात्मा की प्राप्ति हो सकती हैं ? हम कैसे उसे प्राप्त करे ? उसे प्राप्त किया यह कैसे समझे ?
कौन मिलाएगा हमें उस परमात्मा से ?
क्या परमात्मा मिलाना मिलाना मुमकिन हैं ?.........
ढेर सारे अनगिनत सवाल जेहन में उभरते है ......कोई हैं सुलझाने वाला ?
क्या जीवन के अंतिम छोर पर ये प्रश्न ....प्रश्न ही रहेंगे ?
यह गुत्थी कौन सुलझाएगा ? ......उलझन मिटाने वाला कोई मिलेगा ?........
और कुछ प्रश्नों के साथ फिर उपस्थित होऊंगा ........ आज इतनीही उलझन सही .......
पुन मिलेंगे ....उपरोक्त विषय को लेकर .....आज यहीं विश्राम लेते हैं !.........
प्रा. शानुपंडित,
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