Wednesday, 3 September 2014

"गणेश" प्रथम पूजनीय कैसे ?

⊙ मिशन सतस्वरुप ⊙

प्रश्न- "गणेश" प्रथम पूजनीय कैसे ?

महिमा जाणी ज्यासी गणराऊ।
प्रथम पूजियत 'नाम' प्रभाऊ।।

गणपति प्रथम पूजनीय बने इसका कारण है की उन्होंने "सतस्वरुपी " राम " नाम" की महिमा जानी और प्रथम पूजनीय बने।

आदि सतगुरु सुखराम जी महाराज अपने "भुरकी ग्रन्थ" साखि ।।४०।। में भी कहते है.....

भुरकी गजानंद सुन पाई।
कुण बडपण गण ओली।।
पचासक्रोड़ पृथ्वी प्रदक्षिणा।
उभे अंक ए दो ली।।

सभी देविदेवताओं मे जब प्रथम पूजनीय कौन ? इस बात की चर्चा चली तो यह निर्णय हुआ की इस पचासक्रोड़ पृथ्वी को प्रदक्षिणा करके जो प्रथम हरिपुर में पहुंचेगा वह प्रथम पूजनीय माना जायेगा। जब पृथ्वी प्रदक्षिणा की दौड़ चली तो सभी देवी देवता अपने अपने वाहन पर बैठकर पृथ्वी प्रदक्षिणा के लिए निकल पड़े।
विष्णु अपने गरुड पर, ब्रह्मा अपने हंस पर, शिव अपने नंदी पर, इंद्रदेव अपने एरावत पर, हर कोई अपने अपने वाहन पर निकले।
"गणेश" भी अपने चूहें पर निकल पड़े...तो रास्ते में त्रिलोक की सफर करने वाले "देवर्षि नारद" मिले। अनायास ही बातचित के दौरान पृथ्वी प्रदक्षिणा की बात निकली तो "देवर्षि नारद" ने कहाँ सभी देवताओं के गतिमान वाहनों के मुकाबले आपके भारीभरकम शरीर के साथ आपका वाहन कैसे मुकाबला कर पायेगा ?
तो गणेशजी ने उनसे पूछा की ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए ?
तो नारद जी ने उन्हें वही सर्वश्रेष्ठ बिज मंत्र बताया जिसके आधार से यह पचास कोटि योजन पृथ्वी स्थिर हुई है ऐसा "र"कार तथा "म"कार युक्त "राम" नाम लिखो और उसे प्रदक्षिणा करके बैठ जाओ और कोई पूछे तो पृथ्वी स्थिर होनेमे सहाय्यक "राम" नाम की महत्ता बता देना। गणेशजी ने वही किया। "राम" नाम धरती पर लिखकर उसे प्रदक्षिणा करके आकर बैठ गये जब सभी देविदेवता आकर इकठ्ठा हुए तो गणेश जी पहले आकर बैठा हुआ देखकर अचरज हुआ।
जब उन्होंने इस बात का स्पष्टिकरण बताया तो यही निर्णय हुआ की गणेशजी यह सिर्फ प्रथम पूजनीय ही नही तो सबसे श्रेष्ठ बुद्धिमान देवता के रूप में पूजनीय होंगे और इतनाही नही तो रिध्दि सिध्दि भी उनकी सेवामे हमेशा तत्पर रहेगी। इस प्रकार से गणेश-गणपति प्रथम पूजनीय कहलाए गये माने गए।

©सन्दर्भ- सतस्वरुप आनंदपद ने:अन्छर निजनाम ग्रंथ से।

......................रामस्नेही शानूभाई
09423492193
09765282928

।। राम राम सा।।

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