Thursday, 27 February 2014

शिव के अमर होने का भेद क्या है ?

⊙मिशन सतस्वरुप⊙
 ।। सतस्वरुपी राम।।

।। भ्रम विध्वंस।।

उमा अर्ज करे शिवजी सु।
सुन लो मेरी पुकारा।।
मै परलय तुम जूण अजूणी।
जाको कहाँ विचारा ।।

………………… उमा (पार्वती) शिव से प्रश्न करती है... हे शिवजी मेरी बिनती सुनो और मेरे प्रश्न का उत्तर दो की मै बार बार प्रलय (शारीर छूटना) मे पड़ रही हूँ और आप जैसे के वैसे (अमर) कैसे हो ?

सत्य वचन सुन सुन्दर वदनी।
मेरो राम आधारा।।
र रं-कार सु प्रित लगाओ।
सब सारन में सारा।।

………………… शिव पार्वती से कहते है.... हे प्रिये, हे सुन्दर वदनी मै "सतस्वरुपी राम" नाम की वजह से अमर हुआ हूँ। इसलिए तुम भी र रं-कार से प्रित लगाओ और अमर हो जाओ। यह "सतस्वरुपी" "राम" नाम ही सत्य है। यही सार रूपी शब्द है जो मै कैलास में बैठकर इसका रातदिन सुमिरन कर रहा हूँ।

एता दिन मोय क्यों न बतायो ?
एसो छाने काय छिपाओ ?

…………………फिर पार्वती पूछती है... इतने दिन आपने मुझे क्यों नहीं बताया ? इतनी अच्छी बात मुझसे क्यों छिपाई ?

उत्तम पुरुष लक्षण कहूँ तोई।
बुझ्या बिना न कहे है कोई।।
अब देवी "निजनाम" बताऊ।
तेरो जामण मरण मिटाऊ।।
सेंसर नाम में येई सारा।
देवी भजो "राम" र रं-कारा।।

…………………शिवजी ने कहा... अरे, यही तो उत्तम पुरुष का लक्षण है। जब तक कोई पूछे नही तब तक उसे बतावे नहीं। तुमने आजतक पूछा नही मैंने बताया नही। अब तुमने पूछ लिया तो बताता हूँ .... हे देवी, मै तुझे "निजनाम" (सतनाम-उस परमपिता परमात्मा का नाम) बताता हूँ जिसके सुमिरन से आवागमन-जन्ममरण मिट जाता है। सहस्त्र नामोमे वही बस एक सार रूपी शब्द है और वह है "सतस्वरुपी राम" नाम इसलिए हे देवी तुम भी आज से यह "राम" नाम का सुमिरन करो और "पुनरपि जन्मम पुनरपि मरणम, पुनरपि जननी जठरे शयनं" जन्म मरण रहीत निर्भय निश्चल हो जाओ। इस सगुण निर्गुण लोक को हमेशा के लिए छोड़कर अमर लोक में अनंत युगोतक अनंत अमर सुख भोगो।

अगर आपको भी अपना जन्म मरण मिटाना हो तो आपभी यह सतस्वरुपी "राम" नाम आती जाती श्वास में जपना शुरू करो।

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मिशन सतस्वरुप- पुणे
09765282928
09423492193

मिशन सतस्वरुप की जरुरत क्यों है ?

⊙मिशन सतस्वरुप⊙
 ।। सतस्वरुपी राम।।

प्रश्न- मिशन सतस्वरुप की जरुरत क्यों है ?

इस जगत में अनेक प्रकार के दुखी कष्टी जिव-प्राणिमात्र है जो इस संसारी मोहमाया के जाल से उब गए है। इससे वे छुटकारा पाना चाहते है लेकिन उन्हें इस माहोल से निकालने वाला कोई दिखाई नहीं देता। इसलिए वे दरबदर भटक रहे है। ऐसे सभी दीन-दुर्बल, दुखीः कष्टी, हाताश-निर्बल, सगुण-निर्गुण भक्ति करके भी असंतुष्ट, काल से भयभयित, यम की फासी छुड़ाकर केवल एक परमात्मा को माननेवाले, आपने अंदर ही परमात्मा की खोज करनेवाले, अनंत सुखोकी चाहना रखने वाले, अमर आत्मा को अमर सतस्वरुप परमात्मा से मिलानेकी चाहना रखनेवाले, जीवित अवस्था में परममोक्ष की प्राप्ति चाहने वाले, अपना आवागमन फिरसे चौरासी का दुःख न भोगने की इच्छा रखनेवाले, गर्भ की त्रासदी मिटाने की इच्छा रखने वाले मृत्यु लोक को हमेशा के लिए छोड़कर अमर लोक में जानेकी इच्छा रखनेवाले अनंत युगोतक अनंत अमर सुख पानेकी इच्छा रखनेवाले सभी अबालवृध्द के लिए यह "मिशन सतस्वरुप" की जरुरत है।

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मिशन सतस्वरुप किसके लिए है ?

⊙मिशन सतस्वरुप⊙
 ।। सतस्वरुपी राम।।

प्रश्न- मिशन सतस्वरुप किसके लिए है ?

इस जगत में जो दीन-दुर्बल, दुखीः कष्टी, हाताश-निर्बल, सगुण-निर्गुण भक्ति करके भी असंतुष्ट, काल से भयभयित, यम की फासी छुड़ाकर केवल एक परमात्मा को माननेवाले, आपने अंदर ही परमात्मा की खोज करनेवाले, अनंत सुखोकी चाहना रखने वाले, अमर आत्मा को अमर सतस्वरुप परमात्मा से मिलानेकी चाहना रखनेवाले, जीवित अवस्था में परममोक्ष की प्राप्ति चाहने वाले, अपना आवागमन फिरसे चौरासी का दुःख न भोगने की इच्छा रखनेवाले, गर्भ की त्रासदी मिटाने की इच्छा रखने वाले मृत्यु लोक को हमेशा के लिए छोड़कर अमर लोक में जानेकी इच्छा रखनेवाले अनंत युगोतक अनंत अमर सुख पानेकी इच्छा रखनेवाले सभी अबालवृध्द के लिए यह "मिशन सतस्वरुप" है।

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Sunday, 16 February 2014

मिशन सतस्वरुप.....क्या है ?

⊙मिशन सतस्वरुप⊙
 ।। सतस्वरुपी राम।।

प्रश्न- मिशन सतस्वरुप क्या है ?

मिशन-उद्धेश्य-धेय्य
सतस्वरुप -
जो कल भी था, जो आज भी है और जो कल भी रहेगा।
जिसका त्रिकाल (तीनो काल-भूतकाल-वर्तमान काल-भविष्यकाल) में अभाव नही।
जो कभी नही था-ऐसा समय नही था।
जो कभी नही है-ऐसा समय नही है।
जो कभी नही रहेगा-ऐसा समय नही रहेगा।
ऐसा सत्त परमात्मा जो असत-नासत(नष्ट होनेवाला) नही है-जिसने सभी को निर्माण किया लेकिन उसे किसीने निर्माण नहीं किया। जो आदि-अनादी से है और जिसका अंत कभी भी नही होगा अंतत वही रहेगा।
जो दृष्टी में, मुष्टि में नही आता।
जो सभी में अणु-रेणू मे, कण कण में, रोम रोम में विराजमान है।
जो संपूर्ण श्रृष्टि में विराजमान है।
जिसका वार पार नही आता ऐसा सतस्वरुप-परमात्मा।
उसे मनुष्यदेह में प्राप्त करना।
यही मिशन सतस्वरुप है।

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